आलू का चेचक रोग Streptomyces नामक जीवाणु से होता है और यह मुख्यता कंदो की बाहरी सतह को प्रभावित करता है | इससे उपज पर असर नहीं पड़ता, लेकिन आलू की बाहरी गुणवत्ता और बाजार मूल्य कम हो जाते है | इसमें कंदो पर खुर्दरे, कॉर्की धब्बे या गड्डेदार घाव , उभरे हुए खुर्दरे दानेदार फुंसी जैसे दाग बन जाते है | रोग मिट्टी और बीज कंदो से फैलता है | आलू के चेचक रोग (Potato Scab) का नियंत्रण बहुत जरूरी है

रोकथाम एवं नियंत्रण
1- मिट्टी परीक्षण
इससे हमें पता लगता की हमारे खेत की मिट्टी मे कौनसे पोषक तत्व कितनी मात्रा मे है |
कहीं मिट्टी क्षारिये तो नहीं है क्योंकि क्षारिये मिट्टी मे चेचक रोग ज्यादा होता है |
2- स्वस्थ बीज का उपयोग करें
प्रमाणित व रोगमुक्त बीज का ही चयन करें
ज्यादा पुराना बीज न लगाएं

3- बीज उपचार
बोरिक अम्ल – 3% का बीज कंदो पर छिड़काव करें |
इसके अलावा आर्गेनो मक्यूर्रियल यौगिक- 0.015% का बीज कंदो पर छिड़काव करें|
4- नमी बनाए रखें
कंद बनने से लेकर खुदाई तक मिट्टी मे पर्याप्त नमी होनी चाहिए|
5- फसल चक्र अपनाना
गेंहूँ, मटर, जई, बाजरा, और हरी खाद जैसे डेंचा, तुरई वाली फसलों के साथ फसल चक्र करें|
6- संतुलित खाद का उपयोग
खाद संतुलित मात्रा मे दें फसल का अच्छा विकास हो|
ज्यादा या कम खाद से मिट्टी की ph वैल्यू बदलती है जिससे उर्वरता घटती है |
7- गोवर खाद का महत्व
गोवर या जैविक खाद अवश्य डालें इससे मिट्टी मे कार्बनिक मात्रा बढ़ती है और साथ ही साथ इसमें acids पाए जाते है जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते है |
8- Trichoderma
इसके उपयोग से चेचक रोग को कण्ट्रोल किया जा सकता है बिल्कुल समाप्त नहीं होगा रोग |
निष्कर्ष
आलू का चेचक एक गंभीर रोग है इसका सबसे अच्छा प्रबंधन-मिट्टी परीक्षण+ स्वस्थ बीज+ बीज उपचार+ नमी प्रबंधन+ फसल चक्र+ संतुलित खाद उपयोग+ गोवर खाद+ trichoderma (opetinal)
तो इस तरह से आलू में चेचक रोग को आप कण्ट्रोल कर सकते हैं |

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